पीड़ा पुस्तक की
आज सुबह एक धूल भरी अलमारी से
दबे हुए स्वर में
चीखने की आवाज आई थी,
मैंने अलमारी को खोला
उसमे एक सुंदर सी पुस्तक
धूल के नीचे दबी पड़ी थी
वो मुझसे कुछ कहना चाहती थी
पर हालत उसकी नाजुक थी,
मैंने उसको हाथ लगाया
वह फूट-फूटकर रोईं थी,
वह जोर-जोर से चीखी थी पर
कुछ बोल न पाई थी,
धूल से...
दबे हुए स्वर में
चीखने की आवाज आई थी,
मैंने अलमारी को खोला
उसमे एक सुंदर सी पुस्तक
धूल के नीचे दबी पड़ी थी
वो मुझसे कुछ कहना चाहती थी
पर हालत उसकी नाजुक थी,
मैंने उसको हाथ लगाया
वह फूट-फूटकर रोईं थी,
वह जोर-जोर से चीखी थी पर
कुछ बोल न पाई थी,
धूल से...