...

12 views

अब खो गया है सब
#WritcoPoemChallenge
Into the flames rising out of a setting sun,
I draw in a deep breath before I run.. अब लड़कपन न रहा सोलहवाँ ये उमर लड़कपन ले गया ,बचपना ले गया, सारे वो
खेल खिलौने, टोलिओ की वो लहर ,मस्ती का वो जश्न ,अब खो गया है सब,
सोलहवे उमर में ।
खेल का वो जोश अब लेगा जवानी का वो रोश,जो ढकेगा तेरे अंग को रेशमी दुपट्टे में,
दौड़ नही सकती अब तू गली मुहल्ले में ,
अब सिमेट कर रख तन भरे पूरे कपड़े में,
अब खो गया है सब,
जवानी के मलबे में।
अब भोली सी सूरत में ला चाँद की चमक,
साँवले से रंग पे चढेगी हल्दी की पतली परत, अब रंग होगा गोरा धूप में न निकल,
आयेंगे तुझे देखने लगेगी अब लगन,
अब खो गया है सब,
दुल्हन के जज्बे में।
अब छोड़ दे चंचलता तुझे संभलके है चलना,घर नही है वो तेरा जिम्मेदारी का है आँचल,सिमट जाना इसी में समेटके सारे सपने, अब खो गया है सब,
सासरे के अँगने में।
अब चुप न रहूंगी मैं सिमटके कमरे में ,
मेरी माँ मुझे जवाब दे क्यों हूँ मैं इस कस्बे में, क्यों खो गया सब मेरा तेरे आँचल के रहते में,
तू लायी ही क्यों मुझे तेरे कस्बे में ,जब हिम्मत ही न थी तुझमे तेरा खोया सपना पाने में ,तो मुझे क्यों फेंका इस सासरे के बाड़े में,
और कह दिया मुझे अब खो गया सब तेरा ।