कशमकश /////// Dilemma !!!
मैं अँधेरा हूँ,
तुम मुझमें कुछ देख पाओगे क्या ?
मैं पवन कि तरह बहता हूँ,
तुम मुझे हाथों में समेट पाओगे क्या ?
जिम्मेदारियों के बोझ तले,
टूटे सपनों से घिरा हुआ मैं,
ढेरों कहानियों में लिखा गया,
आँखों से ना मैं पढ़ा गया,
तुम मुझे थोड़ा भी जान पाओगे क्या ?
सोचो जान भी लिया,
तो क्या तुम मुझे
दिल में बसा पाओगे क्या ?
जो मैं कहुँ मैं तुमसा नहीं,
गैरों में, मैं रहता नहीं,
मेरी दुनिया बहुत अलग हैं
मैं...
तुम मुझमें कुछ देख पाओगे क्या ?
मैं पवन कि तरह बहता हूँ,
तुम मुझे हाथों में समेट पाओगे क्या ?
जिम्मेदारियों के बोझ तले,
टूटे सपनों से घिरा हुआ मैं,
ढेरों कहानियों में लिखा गया,
आँखों से ना मैं पढ़ा गया,
तुम मुझे थोड़ा भी जान पाओगे क्या ?
सोचो जान भी लिया,
तो क्या तुम मुझे
दिल में बसा पाओगे क्या ?
जो मैं कहुँ मैं तुमसा नहीं,
गैरों में, मैं रहता नहीं,
मेरी दुनिया बहुत अलग हैं
मैं...