कविता...
तुम्हारें सिवा भीं
जीवन कीं कहानी
मुख्तसर हीं थीं हमारीं
जब सें तुम्हें दिल में बसायां हैं
खुद हीं अपनेआप में
कहीं गुमनाम सें हो गयें हैं
तुम्हें यकींन हों या...
जीवन कीं कहानी
मुख्तसर हीं थीं हमारीं
जब सें तुम्हें दिल में बसायां हैं
खुद हीं अपनेआप में
कहीं गुमनाम सें हो गयें हैं
तुम्हें यकींन हों या...