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तिरंगे की कहानी
तीन रंगों का जब सन् 1947 में,
पहला तिरंगा लहराया था।
कुछ सोचकर ही तो , उन रंगों से,
पिंगली वैंकेया जी ने तिरंगा बनाया था।
केसरिया, श्वेत, हरे रंग के साथ,
चौबीस तिल्लियो का,
अशोक चक्र भी जोड़ा था।
केवल एक अभिकल्पना नहीं,
उन्होंने इसके जरिए अपने देश को,
साहस, सक्ति, वृद्धि, पवित्रता,
शांति व सत्य का,
इस तिरंगे के रूप में एक संदेश पहुंचाया था।

तिरंगे को ही लहराकर ही तो,
आजादी का जश्न मनाया था।।
पर आजादी के लिए भी ,
कई लोगो ने अपना लहू बहाया था ।
इस आजादी के लिए ही तो,
रानी लक्ष्मी बाई, मंगल पांडे, तातिया तोपे, राजगुरु,
भगत सिंह,सुखदेव जैसे कई और स्वतंत्र सेनानियो ने भी,
शहीदी को गले लगाया था।
अपनी सोने की चिड़िया को ,
कई संघर्षों के बाद आजाद कराया था।
200 साल की गुलामी के बंधन से,
मुक्त कराया था।
15अगस्त 1947 में तब जाकर
पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने तिरंगा फहराया था।
© ujjwalkaintura