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मल्लाह
तूफान रुकने का इंतजार करता नहीं कभी मल्लाह
पार नदी को करना है मन में ठान निकले मल्लाह।
धारा प्रतिकुल है या अनुकूल नहीं उसे है खबर
चल पड़ते लक्ष्य की ओर बांध सिर पर वह कफ़न।
पार कराना है यात्री सफर हो कितना भी कठिन
गंतव्य तक पहुंचाने की मन में लिए संकल्प निशदिन।
लहरों के हर थपेड़ों से कर सामना वह विजय पाता
एक आशा की किरण बनकर हम सबको प्रेरित वह कर जाता।
मझधार हो या हो किनारा उम्मीद नहीं छोड़ना है।
हर बाधाओं से लड़कर ही जीवन पथ पर बढ़ना है।
पार नदी को करना है मन में ठान निकले मल्लाह।
धारा प्रतिकुल है या अनुकूल नहीं उसे है खबर
चल पड़ते लक्ष्य की ओर बांध सिर पर वह कफ़न।
पार कराना है यात्री सफर हो कितना भी कठिन
गंतव्य तक पहुंचाने की मन में लिए संकल्प निशदिन।
लहरों के हर थपेड़ों से कर सामना वह विजय पाता
एक आशा की किरण बनकर हम सबको प्रेरित वह कर जाता।
मझधार हो या हो किनारा उम्मीद नहीं छोड़ना है।
हर बाधाओं से लड़कर ही जीवन पथ पर बढ़ना है।
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