दर्द और यादें
यूं ज़िन्दगी को संवार लूं,
ख़्वाबों को अंदर ही मार लूं।
वो तो अब लौटने से रहा,
तन्हा ही वक़्त गुजार लूं।
कोई...
ख़्वाबों को अंदर ही मार लूं।
वो तो अब लौटने से रहा,
तन्हा ही वक़्त गुजार लूं।
कोई...