...

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" आज महिला दिवस है "

आज दिन है उसका... जिससे हर घर की सुबह होती हैं,.
सूरज नही वो... मगर सूरज सी चमक बनाये रखती हैं,
सुबह खिलने से लेकर.. रात छिपने तक..
वो प्रहरा सा देती रहती है, आराम नही उसे पल भी....
है एक...आज दिन है उसका... जिससे हर घर की सुबह होती हैं,.
चाँद सी सूरत उसकी...ना कोई चाँद बनकर वो रहती है,
घर बाहर सब सम्भलना उस को... वो देवी सी बनकर रहती है,
पूजता ना कोई उसको... बस वो सबको सहती है,
है एक...आज दिन है उसका... जिससे हर घर की सुबह होती हैं,.
वो अबला सी ज्योति है...बाती सी वो जलती रहती हैं,.
ना आजाद है ना आबाद है....वो चारदीवारी रहती है,
सबकुछ सुनती... सबकुछ करती...
है एक....आज दिन है उसका... जिससे हर घर की सुबह होती हैं,.
बगैर उसके कोई खुद से पानी तक नही पीता है,
बेवजह इलजामो का सुरूर उस पर रहता है,,
मुस्कराती सी एक मुरत जो सबको अपना कहती हैं,
है एक.... आज दिन है उसका... जिससे हर घर की सुबह होती हैं,
संस्कारों में बंधी वो प्रेम सती बन रहती है,
घर की लक्ष्मी वो अर्धांगनि हर सगुन निभाती हैं,
पर्दे में छिपी एक मुरत भोली मुरत...हर घर में रहती है,
है एक... आज दिन है उसका... जिससे हर घर की सुबह होती हैं,
अपने कर्तव्य निभाने हेतु वो माँ, बहन, बेटी, बहु, सैनिक तक बन जाती है,
हर काम उसके रहते.... हर असम्भव संभाल लेती है,
नारी...महिला...देवी...काली... क्या कहे...
बस... है एक...
आज दिन है उसका... जिससे हर घर की सुबह होती हैं...!!

#internationalwomensday 👩🥀
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