...

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कोशिश
समय का ये दरिया तो बहता ही रहता
फिर क्यों ठहरता है, मुझमें हर बार

वहीं तो आ पहुंचे, जहां से चले थे
ये रस्ता क्यों चलता है, मुझमें हर बार

कोशिश जो तब थी, क्यूं जारी है अब तक
कुछ तो बदलता है, मुझमें हर बार

ना जाने कहां से पनपता है हौसला
यूं गिर के उठ जाने का, मुझमें हर बार


© आद्या