अनामिका जी आपकी सोच...
ये जो तुम अपने मुँह में
दही जमाए रखते हो न
ऐसा हो कि खूब खट्टी हो जाए ये
और जब सच में खूब खट्टी हो जाए
तो उससे थोड़ा जामण
मुझे भी दे देना
मुझे भी अपने मुँह में दही...
दही जमाए रखते हो न
ऐसा हो कि खूब खट्टी हो जाए ये
और जब सच में खूब खट्टी हो जाए
तो उससे थोड़ा जामण
मुझे भी दे देना
मुझे भी अपने मुँह में दही...