...

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अनामिका जी आपकी सोच...
ये जो तुम अपने मुँह में
दही जमाए रखते हो न
ऐसा हो कि खूब खट्टी हो जाए ये

और जब सच में खूब खट्टी हो जाए
तो उससे थोड़ा जामण
मुझे भी दे देना
मुझे भी अपने मुँह में दही जमानी है
तुम्हारी तरह

क्योंकि तुम्हारी चुप्पी
मन को करोंदा कर देती है
जो बाद में मेरे समय को
कसैली बनाने लगती है

आँवला होता तो ठंडे पानी के एक घूँट से
मुँह मीठा कर लेती

परन्तु मीठे से खट्टा भला
आँवले से दही भली
मुँह से बोल तो न फूटेंगे।


© राइटर.Mr Malik Ji....✍