#दूर
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
दूर फूलों की खुशबू से झूम रहा कोई;
आसान है इश्क की राह कह रहा कोई,
दूर मोहब्बत के दरिया में डूब रहा कोई;
निशा के एक पहर में...
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
दूर फूलों की खुशबू से झूम रहा कोई;
आसान है इश्क की राह कह रहा कोई,
दूर मोहब्बत के दरिया में डूब रहा कोई;
निशा के एक पहर में...