...

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#दूर
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
दूर फूलों की खुशबू से झूम रहा कोई;
आसान है इश्क की राह कह रहा कोई,
दूर मोहब्बत के दरिया में डूब रहा कोई;
निशा के एक पहर में जाग रहा कोई,
दूर वादियों में खुशी से नाच रहा कोई;
दिनभर चलकर चैन से सो रहा कोई,
दूर चांद को महबूब सा निहार रहा कोई;
अपने दिलबर को झांझर दिला रहा कोई,
दूर कानन में ख़ुद को खुदा से मिला रहा कोई;
दिल थामकर किसी की प्रतीक्षा में रहा कोई,
एक आखिरी दीदार की अभीप्सा में रहा कोई;
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई...
© Naren07