...

4 views

दिल की यादें


रोज मुझे यूँ बार-बार खिड़की से देखना,
अब वो जगह भी बड़ा सुना लगता है,
उस जगह पर आकर उसे देखने की इच्छा,
अब बहुत खाली-खाली सा लगता है,
साथ में बैठ प्यार भरी बातें करना,
अब साथ का सहारा दूर हो गया है,
शुरुआत का सफर लड़ाई से जरूर था,
पर हम दोनों की अनकही बातें जुड़ाव दिल से जरूर रहता था,
साथ में हमनें क्या-क्या सपनें नही देखे,
पर अब वो हमारा सपना अधूरा रह गया है,
गुस्सा है मुझे अपने आप से,
क्यों ये मैंने सुनहरी यादें बनाई,
ज़िन्दगी के सफर में प्यार का हाथ थामने वाला, अब वो सफर सुनी हो गई,
अब कितनी यादों को दूर करूँ दिल से,
की नया सफर अब ज़िन्दगी का बन जाये।


© Srishti Morya