...

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अकेला चल
अपने कर्म पथ तू मुसाफिर अकेला ही चल,
राहों में आने वाले मुश्किलों से तू कभी मत डर।

हर अंधविश्वासों, कुरीतियों की बेड़ियों को तोड़कर
भय पैदा करनेवाले लोगों का साथ हमेशा के लिए छोड़ कर।
निडर हो तुम्हें निरंतर बस चलते चलना है ,
हर एक कांटों को फूलों में तुम्हें बदलना है।

अपने बुलंद हौसलों से तुम्हें अंधेरों में प्रकाश भरना है,
अपने अंतर्मन में उठती पीड़ा को तुम्हें खुद ही हरना है।

पंक...