वहम
न जाने क्यों वो थम सी गयी
चेहरे की रौनक आंख नम हो गयी
कुछ टूटे से थे अल्फ़ाज़ उसके
कुछ भीतर दफ्न थे राज उसके
इक लहर थी वो बहती हुई कश्ती
न जाने क्यों वो जम सी गयी
सवाल बस था एक उससे
सारे दर्द तूने लिए क्यों अपने...
चेहरे की रौनक आंख नम हो गयी
कुछ टूटे से थे अल्फ़ाज़ उसके
कुछ भीतर दफ्न थे राज उसके
इक लहर थी वो बहती हुई कश्ती
न जाने क्यों वो जम सी गयी
सवाल बस था एक उससे
सारे दर्द तूने लिए क्यों अपने...