वो पल
ये सर्द हवा,ये धीमी धीमी मिटी की खुशबू,
हमें करे यूं बेकाबू।
ये छोटी छोटी पानी की बूंदे,
छीने रातों की नींदें ।
ये निगाहों का साथ,
ये बालों में फिरता प्रीतम का हाथ।
ये मदहोश आलम,
थम ना जाए ये लम्हें ये पल।
आंखों में भर लूं उसकी अक्श
सासों में भरलू उसकी खुशबू
मन में बसा लूं उसकी छबि
जाने फिर मिले ना मिले ये कभी
सुप्रभा
हमें करे यूं बेकाबू।
ये छोटी छोटी पानी की बूंदे,
छीने रातों की नींदें ।
ये निगाहों का साथ,
ये बालों में फिरता प्रीतम का हाथ।
ये मदहोश आलम,
थम ना जाए ये लम्हें ये पल।
आंखों में भर लूं उसकी अक्श
सासों में भरलू उसकी खुशबू
मन में बसा लूं उसकी छबि
जाने फिर मिले ना मिले ये कभी
सुप्रभा