...

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उफ्फ ये शरारती साड़ी मुझसे अठखेलिया करती
क्या करू मेरे कोमल
मखमल बदन पर
तो साड़ी भी न टीक
रही है और ये कमबख्त
जवानी भी मेरे बदन
की बनावट से दिख रही है
ऐसा लगता है साड़ी
का दिल आया है मुझपर
जो साड़ी भी शरारत
कर रही है नाजुक कमर
मेरी पसीने से लत पत
होकर बालों में खुशबू
महक सांसों से अटक
रही है और मेरी रसीली
जवानी कुछ इस तरह से
शहद बनकर टपक रही है...