...

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खुद कही...✨✨💫

"बड़ी" खामोशी से,
कलम का जोर देखा है।

कुछ पन्नों में,
जीवन का शोर देखा है।

साहिल फरेबी और मांझी लुटेरा,
जो सोचा न था,
वो दौर देखा है।

संस्कारों से कमाई वफ़ा की दौलत
बेवफा की आंखों में
चोर देखा है।

जब भी इस जहां में ,
मुझे समझा न कोई

मैंने तब- तब हे..."ईशान"
तेरी ओर देखा है।

अंधेरा रहा कई पहर जिंदगी में,
तेरी दया से मैंने,
भोर देखा है।।


🙏

© Tarun.k.pathak