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चोट
वो घाव भी, वो चोट भी, वो जला भी और वो कटा भी,
सब महफूज रखा है उसने अपने जिस्म पर या शायद सीने में दबा कर,
कसूरवार नहीं है कोई और ना ही वो शिकायते करना ही जानती है।
सब्जियों को काटते वक्त उस मासूम सी उंगली का शहीद हो जाना,
या फिर गर्म तवे पर हाथों का खीचे चले जाना।
लाल चूड़ियों का खुद ही टूट के कलाइयों पर ज़ख्म बनाना,
या जान बुझ कर किसी का थापड़ उठाना,
लोहे से पीटना या खाल ही खीच लेना,
किसी के दिल में आए तो तेजाब भी उड़ेल देना,
सब महफूज रखा है उसने अपने जिस्म पर या शायद सीने में दबा कर।
© All Rights Reserved
© Anshu_Yadav
सब महफूज रखा है उसने अपने जिस्म पर या शायद सीने में दबा कर,
कसूरवार नहीं है कोई और ना ही वो शिकायते करना ही जानती है।
सब्जियों को काटते वक्त उस मासूम सी उंगली का शहीद हो जाना,
या फिर गर्म तवे पर हाथों का खीचे चले जाना।
लाल चूड़ियों का खुद ही टूट के कलाइयों पर ज़ख्म बनाना,
या जान बुझ कर किसी का थापड़ उठाना,
लोहे से पीटना या खाल ही खीच लेना,
किसी के दिल में आए तो तेजाब भी उड़ेल देना,
सब महफूज रखा है उसने अपने जिस्म पर या शायद सीने में दबा कर।
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