...

9 views

चोट
वो घाव भी, वो चोट भी, वो जला भी और वो कटा भी,
सब महफूज रखा है उसने अपने जिस्म पर या शायद सीने में दबा कर,
कसूरवार नहीं है कोई और ना ही वो शिकायते करना ही जानती है।

सब्जियों को काटते वक्त उस मासूम सी उंगली का शहीद हो जाना,
या फिर गर्म तवे पर हाथों का खीचे चले जाना।

लाल चूड़ियों का खुद ही टूट के कलाइयों पर ज़ख्म बनाना,
या जान बुझ कर किसी का थापड़ उठाना,
लोहे से पीटना या खाल ही खीच लेना,
किसी के दिल में आए तो तेजाब भी उड़ेल देना,
सब महफूज रखा है उसने अपने जिस्म पर या शायद सीने में दबा कर।


© All Rights Reserved
© Anshu_Yadav