सुकून...
जो मन चहकता था कभी,लोगों से मिल कर,
आज अकेले में सुकून पाता है ।
जो सुकून मिलता था कभी हँसकर,
आज वो रोकर आता है।
इसे ही वक्त का खेल कहते हैं,
वक्त बदलते ही ,इंसान बदल जाता है।
...
आज अकेले में सुकून पाता है ।
जो सुकून मिलता था कभी हँसकर,
आज वो रोकर आता है।
इसे ही वक्त का खेल कहते हैं,
वक्त बदलते ही ,इंसान बदल जाता है।
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