sathi
जीवन
के डगर पर चल पड़े हैं
ख्वाहिशों का हाथ था में
सोचा ना समझा निकल पड़े हैं
सपनों के साथ मुस्कुराने
देखा तभी ना राह. है
मंजिल भी काफी दूर...
के डगर पर चल पड़े हैं
ख्वाहिशों का हाथ था में
सोचा ना समझा निकल पड़े हैं
सपनों के साथ मुस्कुराने
देखा तभी ना राह. है
मंजिल भी काफी दूर...