...

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~ अजनबी ~
ओ! अजनबी
कुछ तुम अपने से लग रहे हो
अब धीरे धीरे
जैसे मेरे ज़िन्दगी में बढ़ रहे हो,

खुदा ने ही तुमको
मेरे किस्मत के लकीरों में लिखा है
अब ज़िन्दगी के मंजिल में
जैसे मेरे हमसफ़र बन रहे हो,

ये पूरी कायनात की साज़िशो से
हम दोनों अनजान...