...

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बचपन
कितना प्यारा था बचपन हमारा,
गुड्डे गुड़िया के संग था नाता प्यारा सा हमारा,
ऊच-नीच , जात-धर्म की ना थी समझ जब हमे,
दिन भर खेल खेल मे बीत जाता था वक़्त हमारा,
होती ना थी किसी बात की फिकर हमे,
बस रहते थे अपनी धुन मे, अपनी मस्ती मे,
अपने सपनो की दुनिया मे खोये हुए ।
मिलता था सबसे प्यार,
जी भर करते थे हमे सब बड़े दुलार,
बचपन की वो बेफिकरी वाली बीती कहानी,
अब ना आयेगी वो बचपन की बाते जो हुई अब पुरानी ।

Written by आफरीन

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© sincere girl

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