4 views
वो जो कहता है कि इक दिन हाँ मुहब्बत होगी
वो जो कहता है कि इक दिन हाँ मुहब्बत होगी
संग दिल को भी तो महबूब की उल्फ़त होगी
फूल भेजा है जो ख़त में ये करम कैसा है
हाँ मिरे यार की अच्छी सी ही हालत होगी
मैं तो सोया हूँ घनी इश्क़ की चादर ओढ़े
तब उठूँगा जो तिरे दिल से इजाज़त होगी
ज़िंदगी का ये सफ़र है न अकेले आसाँ
जो तू राज़ी हो तिरी मुझ पे इनायत होगी
तू जो नफ़रत का न जाना है सलीक़ा अब तक
ये तिरे क़ल्ब में ही इश्क़ की चाहत होगी
हूँ जो मुजरिम तो सज़ा दे ले है हाज़िर 'ज़ैग़म'
ये शहर भी तेरा तेरी ही अदालत होगी
© words_of_zaiغम
संग दिल को भी तो महबूब की उल्फ़त होगी
फूल भेजा है जो ख़त में ये करम कैसा है
हाँ मिरे यार की अच्छी सी ही हालत होगी
मैं तो सोया हूँ घनी इश्क़ की चादर ओढ़े
तब उठूँगा जो तिरे दिल से इजाज़त होगी
ज़िंदगी का ये सफ़र है न अकेले आसाँ
जो तू राज़ी हो तिरी मुझ पे इनायत होगी
तू जो नफ़रत का न जाना है सलीक़ा अब तक
ये तिरे क़ल्ब में ही इश्क़ की चाहत होगी
हूँ जो मुजरिम तो सज़ा दे ले है हाज़िर 'ज़ैग़म'
ये शहर भी तेरा तेरी ही अदालत होगी
© words_of_zaiغम
Related Stories
11 Likes
1
Comments
11 Likes
1
Comments