"सुकून का नाम: माँ "
© Shivani Srivastava
जितना कहना था, सब कह चुकी हूं मां! अब इन लफ्जों के दायरे से परे प्रीत है मेरी...
चाहती हूं तू भी मेरे होने पर नाज़ करे, पर ये परिस्थितियां अभी तक विपरीत हैं मेरी...
तूने ही मुझे संभाला है मां, दुःखी हृदय के तम में तू सुख का नया उजाला है मां!
तेरी बेटी कहलाने के काबिल बन सकूं,तो यही इस जीवन की सच्ची जीत है मेरी।
जितना कहना था सब कह चुकी हूं मां! अब इन लफ्जों के दायरे से परे प्रीत है मेरी।
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