...

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ज़िन्दगी...एक बार तो सुन ले!
हर किसी की ख्वाइश पे
किरदार निभाते थक चुका हूं,
अंधेरे गलियारों में ख़ुद की
परछाई ढूंढते थक चुका हूं,
भूल चुका हूं जीना मैं जो
एक वक़्त में किया करता था,
बंदिशों और फ़र्ज़ के तले
बेवजह हो मैं दबा जा रहा,
खुलकर अब सांस भी लूं,
अब यह भी मुमकिन ना हो रहा,
बिसात पड़ रही उलटी ज़िन्दगी की,
चाल सीधी पर नियत पेचिंदा हो रहा,
हर एक इंसान ही अब मुझे,
इंसानियत का असली यथार्थ सीखा रहा, अगर हो सका तो तोड़ूंगा ये बंदिश एक बार, गर हो सका तो फिर जिऊंगा
बचपन को एक बार,
गुज़ारिश है मेरी उस बंदे से,
बस एक बार सुन ले मेरी इल्तज़ा,
एक मौका, बस एक मौका दे मुझे,
खुलकर ये ज़िन्दगी जीना हैं फिरसे,
यही हसरत उभरती ज़हन में हर बार।।

#anirwanchandradutta
#by_devils_pen

© Trance Rudra