...

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ज़िन्दगी...एक बार तो सुन ले!
हर किसी की ख्वाइश पे
किरदार निभाते थक चुका हूं,
अंधेरे गलियारों में ख़ुद की
परछाई ढूंढते थक चुका हूं,
भूल चुका हूं जीना मैं जो
एक वक़्त में किया करता था,
बंदिशों और फ़र्ज़ के तले
बेवजह हो मैं दबा जा रहा,
खुलकर अब सांस भी लूं,
अब यह भी मुमकिन ना हो रहा,...