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आशिक
आशिक मुझसा कहा ,
इस सारे जहां में,
इश्क़ करते यहां हर,
कोई दिल नवाज से,
दिल लगाने में हमें,
कहां उसकी ज़रुरत है,
सिर्फ़ उसके दिदार की,
यादें ही काफ़ी है,
ना इज़हार की परवाह,
ना मिलने की चाहत,
इश्क़ पे मेरे सिर्फ़ मेरा ही,
हक़ है बस मेरा ....
© Hiren Brahmbhatt -- Hirswa
इस सारे जहां में,
इश्क़ करते यहां हर,
कोई दिल नवाज से,
दिल लगाने में हमें,
कहां उसकी ज़रुरत है,
सिर्फ़ उसके दिदार की,
यादें ही काफ़ी है,
ना इज़हार की परवाह,
ना मिलने की चाहत,
इश्क़ पे मेरे सिर्फ़ मेरा ही,
हक़ है बस मेरा ....
© Hiren Brahmbhatt -- Hirswa
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