स्त्रियां
बाधाओं को लांघ जाती स्त्रियां
टूटते हौसले को सिलती स्त्रियां
हर नए चोट पर
बैठ अब रोती नहीं
पैबंद लगा कर
खड़ी होती है
हालात से दो-दो हाथ करती है।
सवालों से घिरी स्त्रियां
कयासों की मारी स्त्रियां
उठती उंगलियों पर
आंख तरेर देखती नहीं
कानों पर कनस्तर रख
चल देती है
विरोध का...
टूटते हौसले को सिलती स्त्रियां
हर नए चोट पर
बैठ अब रोती नहीं
पैबंद लगा कर
खड़ी होती है
हालात से दो-दो हाथ करती है।
सवालों से घिरी स्त्रियां
कयासों की मारी स्त्रियां
उठती उंगलियों पर
आंख तरेर देखती नहीं
कानों पर कनस्तर रख
चल देती है
विरोध का...