...

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नन्हें फूलों को खिलने दें

बच्चों की परीक्षाएँ चल रही है ।
उम्मीदें हमारी उमड़ रही है !!
ऐसा करना,ऐसा नहीं के निर्देश की
फ़ेहरिस्त सतत निकल रही है !!
सच है उम्मीदे पालना पर एक सीमा तक
जो तनाव तक न जाती हो ?

अनावश्यक तनाव से टूट न जाए सपने ,
जरा संभलकर चलें,चलने दें ,
नज़र बराबर रखें पर
स्वाभाविकता से नन्हें फूलों को खिलने दें !!

इस वक्त चाहिए होता है -
अभिभावक का सतत मार्गदर्शन
स्नेह,हौसला और सहयोग !
फिर देखिये कैसे खिलते हैं ,मुस्कुराते हैं
परिवार बगिया के नन्हे फूल !!

© MaheshKumar Sharma
1/4/2023
#Writcopoem
#MeriKavitaye
#MaheshkumarSharma