...

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इंतज़ार
अब ज्यादा बातें नहीं करती
खामोश रहना ही पसंद करती हूं
ज्यादा बोलती भी नहीं हूं
दूसरों की ही सुनती हूं
अपना हाल-ए-दिल किसी से बयां नहीं करती
उसे खुद में ही समेट लेती हूं
छोटी छोटी बातों पर रोया भी नहीं करती
तू जो नहीं है न आंसू पोंछने के लिए
बस इसलिए चेहरे पर झूठी मुस्कुराहट ओढ़ लेती हूं
अपने जज़्बातों को, अपने दर्द को दिल में ही रख लेती हूं
जब याद आती है न तुम्हारी तो
उस चांद को निहार लेती हूं
ये सोचकर कि
तुम भी तो उसमें मेरा अक्स ढूंढते ही होगे
बस यही सोचकर खुश हो जाती हूं
इंतज़ार करती हूं आज भी तुम्हारा
और बस इसी इंतज़ार में
अपना सारा वक्त काट लेती हूं
© Tanshi_a_secret