इंतज़ार
अब ज्यादा बातें नहीं करती
खामोश रहना ही पसंद करती हूं
ज्यादा बोलती भी नहीं हूं
दूसरों की ही सुनती हूं
अपना हाल-ए-दिल किसी से बयां नहीं करती
उसे खुद में ही समेट लेती हूं
छोटी छोटी बातों पर रोया भी नहीं करती
तू जो नहीं है न आंसू...
खामोश रहना ही पसंद करती हूं
ज्यादा बोलती भी नहीं हूं
दूसरों की ही सुनती हूं
अपना हाल-ए-दिल किसी से बयां नहीं करती
उसे खुद में ही समेट लेती हूं
छोटी छोटी बातों पर रोया भी नहीं करती
तू जो नहीं है न आंसू...