...

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एक माँ ऐसी भी..🥺
माँ! क्या मैं तेरी बेटी नहीं?

बचपन से भूखे पेट रखकर छोटी बहनों को पाला,
तेरी आराम की खातिर, घर-घर जाकर काम संभाला।

हर मुश्किल से गुज़री, हर आँसू चुपचाप पिया,
फिर भी क्यों माँ, तू मुझसे यूँ बेरुखी से पेश आई है?

जब भी तू बीमार हुई, खुद को भुला कर सेवा में लगी,
रातों की नींदें...