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बीते कल की बात पुरानी...
बीते कल की बात पुरानी
नई उमंग संग नई जवानी
होश संभालो जागो जागो
नई सुबह की किरण सुहानी

चलो उठो आलस को झटको
कल के वादे उठाकर पटको
आज सही है उसी को झपको
मिले हुए अवसर को लपको

शक्ती के हो अंश तुम समझो
सृष्टि के हो वंश तुम समझो
कर्म करो और मोक्ष को समझो
सेवा करो और देवत्व को समझो

© VIKRANT