बस राही चलता चला चल।।
मार्ग में है काटें तो क्या अचरज उसमे,
तू अपने कर्मतप से मार्ग में फूल खिलाता चल ,
मार्ग नहीं पता तुझको तो क्या अचरज उसमे,
तू अपने बुध्दिबल से नया मार्ग बनाता चल।
बस राही चलता चला चल।1।
मार्ग भरा है अंधियारों से तो क्या अचरज उसमे,
तू मार्ग में अपने कदमों की मशाल जलाता चल,
मार्ग भरा है प्रतिकूल परिस्थितियों से तो क्या अचरज...
तू अपने कर्मतप से मार्ग में फूल खिलाता चल ,
मार्ग नहीं पता तुझको तो क्या अचरज उसमे,
तू अपने बुध्दिबल से नया मार्ग बनाता चल।
बस राही चलता चला चल।1।
मार्ग भरा है अंधियारों से तो क्या अचरज उसमे,
तू मार्ग में अपने कदमों की मशाल जलाता चल,
मार्ग भरा है प्रतिकूल परिस्थितियों से तो क्या अचरज...