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चिड़ियाँ
चिड़ियाँ के दो बच्चे भोले,
ची-ची करके माँ से बोले....।
माँ क्या हम भी पर फैलाए,
झटपट उड़ कर नीचे आये.....।
चिड़ियाँ बोली भोले बच्चे,
अभी तुम्हारे पर है कच्चे....।
तुम इनको मजबूत बना लो,
फिर उड़ दुनिया देखो भोले....।
कुछ दिन ऐसे बीत गए,
दोनों उड़ना सिख गए....।
तब उड़ते लगते कैसे,
प्यारे माँ के पीछे पँख पसारे...
#WritcoPoemChallenge
My life is an open book,
That led me through every nook,
And every corner of discovery,
Of life's long journey
ची-ची करके माँ से बोले....।
माँ क्या हम भी पर फैलाए,
झटपट उड़ कर नीचे आये.....।
चिड़ियाँ बोली भोले बच्चे,
अभी तुम्हारे पर है कच्चे....।
तुम इनको मजबूत बना लो,
फिर उड़ दुनिया देखो भोले....।
कुछ दिन ऐसे बीत गए,
दोनों उड़ना सिख गए....।
तब उड़ते लगते कैसे,
प्यारे माँ के पीछे पँख पसारे...
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My life is an open book,
That led me through every nook,
And every corner of discovery,
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