...

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एक राज़
हर एक राज़ कह दिया बस एक जवाब ने ,
हमको सिखाया वक़्त ने, तुमको किताब ने।

इस दिल में बहुत देर तलक सनसनी रही,
पन्ने यूँ खोले याद के, सूखे गुलाब ने।

ये खुरदुरी ज़मीन अधिक खुरदुरी लगी,
उलझा दिया कुछ इस तरह जन्नत के खाब ने।

हालत ने हर रंग को बदरंग कर दिया,
सोंपे थे जो भी रंग हमें आफताब ने ।

दो झील, एक चाँद, खिले फूल, तितलियाँ
क्या-क्या छुपा रखा था तुम्हारे नकाब ने।