
28 views
झूठ नहीं यह मजबूरी है
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है
हां यह झूठ नहीं मजबूरी है
तुम जानो क्या-क्या जरूरी है
मैं लिखती हूं कलम से
तलवार से वार नहीं करती
मैं हर किसी पर ऐतबार नहीं करती
झूठ और सच तो फितरत है इंसान की
मैं इन सब में अपना वक्त बर्बाद नहीं करती
हां झूठ नहीं है मजबूरी है
तुम जानो क्या-क्या जरूरी है
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है
हां यह झूठ नहीं मजबूरी है
तुम जानो क्या-क्या जरूरी है
मैं लिखती हूं कलम से
तलवार से वार नहीं करती
मैं हर किसी पर ऐतबार नहीं करती
झूठ और सच तो फितरत है इंसान की
मैं इन सब में अपना वक्त बर्बाद नहीं करती
हां झूठ नहीं है मजबूरी है
तुम जानो क्या-क्या जरूरी है
Related Stories
28 Likes
4
Comments
28 Likes
4
Comments