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बचपन के वो दिन याद आते हैं
बचपन के दिन सुनहरे होते हैं,
मम्मी के दुलार से हंसते हैं,
तो पापा की फटकार से रोते हैं,
दादा-दादी से कहानी सुनते हैं,
ढेर सारे बिस्किट चॉकलेट खाते हैं,
कभी-कभी तो एक टॉफी में खुश हो जाते हैं,
झोली में मिट्टी भरते हैं,
दिल खोल के कपड़े गंदे करते हैं,
कागज की किश्ती बनाते हैं,
बारिश का मजा उठाते हैं,
बचपन के वो दिन याद आते हैं।
© suman
मम्मी के दुलार से हंसते हैं,
तो पापा की फटकार से रोते हैं,
दादा-दादी से कहानी सुनते हैं,
ढेर सारे बिस्किट चॉकलेट खाते हैं,
कभी-कभी तो एक टॉफी में खुश हो जाते हैं,
झोली में मिट्टी भरते हैं,
दिल खोल के कपड़े गंदे करते हैं,
कागज की किश्ती बनाते हैं,
बारिश का मजा उठाते हैं,
बचपन के वो दिन याद आते हैं।
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