जख्म के काबिल..
हम जख्म के काबिल क्या हुए
जिंदगी चोट देने लगी ।
हम इंतहा देते गए
जिंदगी इंतहा पे इंतहा लेने लगी ।
ज़िद में हम ने भी कह दिया
तू कितनी भी कोशिश कर मुझे गिराने की
मैं फिर भी उठ खड़ी होंगी , लडूंगी तुझसे .....
हमारे इस तमाशे पर
लोग तो ठीक
जिंदगी भी मज़े ले , हंसने लगी ।
© सदेव
जिंदगी चोट देने लगी ।
हम इंतहा देते गए
जिंदगी इंतहा पे इंतहा लेने लगी ।
ज़िद में हम ने भी कह दिया
तू कितनी भी कोशिश कर मुझे गिराने की
मैं फिर भी उठ खड़ी होंगी , लडूंगी तुझसे .....
हमारे इस तमाशे पर
लोग तो ठीक
जिंदगी भी मज़े ले , हंसने लगी ।
© सदेव