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मिस यू चैत्रा बेबी!
मिस यू चैत्रा बेबी,
आपको क्या बेवफ़ा दुनिया दिलवा पाएंगी इंसाफ़ कभी!
आसिफा, प्रियंका रेड्डी,मनीषा कितने हैं नाम,
मैं इन मासूमों के नाम गिनवा सकता नहीं!

नन्ही गुड़िया थी वो,
खुशियों की पुरिया थी वो!
अब नहीं है वो हमारे बीच,
अब नील-गगन में कहीं खो गई वो!

लफ़्ज़ नहीं है मेरे लबों पे,
फ़िर भी मैं लिख रहा हूं मैं!
दिल में ग़म है मेरे,
फ़िर भी बरसात-ए-ग़म में भींग रहा हूं मैं!

बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ का नारा कहां गया?
पढ़ी लिखी पुलिस अफ़सर बिटिया राबिया सैफी पुलिस अफ़सर ख़ुद को क्यों बचा सकी नहीं?
क्या हो गया है इंडियन सोसायटी को,
क्या मासूम बेटियों की सिर्फ़ इतनी-सी है ज़िन्दगी?

खुले में दुष्कर्मी दरिंदें घूम रहे हैं,
पर,क्या आपको है पता?
पीड़ित मनीषा के केस को बंद करने के लिए,
हरामखोर यूपी पुलिस कर्मियों के द्वारा मिड-नाइट में ही,
बेचारी मनीषा का अंतिम संस्कार किया!

अब लगने लगा है कि मेरा भारत विश्गुरू बन गया है,
जहां पे बेटियों की ना कोई है परवाह!
आज कल के नीच-जनों से अच्छा तो स्वाभिमानी पराक्रमी रावण था,
जो कम से कम स्त्रियों की इज़्ज़त तो करता था!

इस देश में बेटियों को कहां से इंसाफ़ कहां मिलेगा?
जहां अनपढ़ नेतागण उनको बांट देते हैं ऑन द बेसिस ऑफ़ द धर्म!
अगर हरा,नीला,नारंगी, बैंगनी रंगों में सब मज़हब बटे हुए हैं तो,
क्यों परमेश्वर ने आसमानी-रौशनी में रखा है VIBGYOR-स्पेक्ट्रम!

मैं कटु वचन कहूंगा,पर,सत्य कहूंगा,
आए दिन वारदातों के गुनहगारों को जब सम्मानित किया जाता है,
तो,कैसे बदलेगा ये समाज?
जी मेंस,आईआईटी, नीट,कॉमर्स, डिप्लोमा जैसे दबंग-एग्जामों के देश में,
भले ज़्यादा अनपढ़ नेता हैं,पर,ज़रा-सा भी उनको क्यों नहीं है मोरालिटी-ज्ञान!

मिस यू चैत्रा बेबी,
आपको क्या बेवफ़ा दुनिया दिलवा पाएंगी इंसाफ़ कभी!
आसिफा,प्रियंका रेड्डी,मनीषा कितने हैं नाम,
मैं इन मासूमों के नाम गिनवा सकता नहीं!
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© Abdul Ahad GujBihari