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// समुंदर और साहिल //
// समुंदर और साहिल //

प्राकृतिक का ये दृश्य अथाह पानी गहरा समुंदर,
स्थिर मन को अपनी ओर खिंचता है बरबस

मन को मोहने वाला चमकता सुनहरा रेतीला किनारा
छुपा रखा है अपने गर्भ में समुंदर रहस्य ढेर सारा,

बैठ किनारे साहिल पे शाम तक रेत पर लिखती रही दिलों के जज्बात,
उफनता , शोर मचाता आया समुंदर मिटा ले गया हर निशान,

दूर से आता दरिया का देख नजारा दिल को सुकून मिल रहा था
उफनते समुंदर को साहिल से टकराता देख मन रोमांचित हो उठा था,
बेचैन दिल में लहरों की तरह कई विचार उठे,
पर दिल के साहिल से टकरा कर वापस चले गए,

काश, समुंदर से होता याराना सागर के लहरों सी होती रवानी,
उथल पुथल मचता दिल में बेहद रंगीन होती ये जिंदगानी,

तूफानों मे कश्ती जब डगमगा रही थी, मन में उठा था हलचल,
कहीं कोई लहरों संग बहता साहिल मिल जाता इसी पल,

डूबते हुए कश्ती को किनारा मिल जाता अफसोस,
उफनता समुंदर अपनी मौज में है बहता,
मुड़ कर कभी साहिल को नहीं देखता,

कौन समझाए सागर ए दिल को इतनी आवेग ठीक नहीं,
है लाख रहस्य छुपाए हुए समुंदर साहिल को मालूम नहीं!!
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