कुछ
कुछ हो कर भी मैं रहा शून्य,
कुछ खो कर भी मैं रहा शून्य;
कुछ बिन किए कुछ दिन जिए,
कुछ शहर लिए कुछ पहर लिए;
कुछ लम्हों में दिन दोपहर लिए,
कुछ निर्गुण अश्को में...
कुछ खो कर भी मैं रहा शून्य;
कुछ बिन किए कुछ दिन जिए,
कुछ शहर लिए कुछ पहर लिए;
कुछ लम्हों में दिन दोपहर लिए,
कुछ निर्गुण अश्को में...