मां
कड़ी धूप में भी
महफूज़ रहे-
तेरा आंचल जो था।
किल्लत थी भोजन की
तो भी उदर भरा था-
तेरा वक्षस्थल जो था।
बिस्तर की मारा-मारी थी
तो भी नींद हावी था-
तेरी बाहों का पालना जो था।
गंदगी फैलाने को भी
स्वच्छता हीं मिलती...
महफूज़ रहे-
तेरा आंचल जो था।
किल्लत थी भोजन की
तो भी उदर भरा था-
तेरा वक्षस्थल जो था।
बिस्तर की मारा-मारी थी
तो भी नींद हावी था-
तेरी बाहों का पालना जो था।
गंदगी फैलाने को भी
स्वच्छता हीं मिलती...