...

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उपद्रव
मंजिलों को पीछे छोड़ कर तुम
मुझसे भी एक कदम आगे चलो
हाँफती अगर रहूँ मैं फिर भी
रुको नहीं तुम मुझको ले भागे चलो
खींच लो आज मेरी रस्सियॉँ साऱी
साँसों पे तुम गर्म धागे धागे चलो
पिघल रही है देह मेरी आज उपद्रव सी
बहा दो मुझे मुझपे रात भर जागे चलो
© Ninad