अच्छाई की जीत??
जब मैं छोटा था,
मेरी माँ मुझे श्रीराम कहानी सुनाती थी,
वह बताती थीं राम अच्छे थे और रावण बुरा,
इसलिए राम जीते और रावण हारा।
इसी तरह से मुझे और भी कहानियांँ सुनाती थी,
बुराई पर अच्छाई की सीख बताती थीं।
पर आज जब मैं बड़ा हो गया हूंँ,
तो मेरा मन मुझसे पूछता है क्या सच में बुराई पर अच्छाई की जीत होती है?
और वह इसलिए पूछता है कि जब मैं देखता हूंँ
एक लड़की जो अपना सारा घर बार छोड़ ससुराल जाती है,
सरकारी पाबंद के बावजूद दस लाख दहेज ले कर जाती है,
पिता की आमदनी ज्यादा नहीं थी,
पर न जाने कहांँ से रुपयों के साथ पलंग,सोफा,अलमारी भी आ जाती है,
यह दुर्भाग्य है समाज का
पर उससे भी बड़ा दुर्भाग्य यह था कि 3 महीने बाद यह खबर आती है,
कि वह बेटी जैसे इतने नाजों से पाला था इस संसार को छोड़कर जा चुकि है
वह फाँसी लगा चुकी है
पिता की तो मानो जीते जी मौत हो जाती है और माँ सदमे में चली जाती है,
दुर्भाग्य तो था यह पर उसे भी बड़ा दुर्भाग्य यह था कि रिश्ते में वह मेरी बुआ कहलाती है
अब मैं मांँ से पूछता हूंँ
बताइए क्या मैं गलत पूछता हूंँ
क्या अच्छाई हर बार बुराई को हरा जाती है?????
© Anjaan
मेरी माँ मुझे श्रीराम कहानी सुनाती थी,
वह बताती थीं राम अच्छे थे और रावण बुरा,
इसलिए राम जीते और रावण हारा।
इसी तरह से मुझे और भी कहानियांँ सुनाती थी,
बुराई पर अच्छाई की सीख बताती थीं।
पर आज जब मैं बड़ा हो गया हूंँ,
तो मेरा मन मुझसे पूछता है क्या सच में बुराई पर अच्छाई की जीत होती है?
और वह इसलिए पूछता है कि जब मैं देखता हूंँ
एक लड़की जो अपना सारा घर बार छोड़ ससुराल जाती है,
सरकारी पाबंद के बावजूद दस लाख दहेज ले कर जाती है,
पिता की आमदनी ज्यादा नहीं थी,
पर न जाने कहांँ से रुपयों के साथ पलंग,सोफा,अलमारी भी आ जाती है,
यह दुर्भाग्य है समाज का
पर उससे भी बड़ा दुर्भाग्य यह था कि 3 महीने बाद यह खबर आती है,
कि वह बेटी जैसे इतने नाजों से पाला था इस संसार को छोड़कर जा चुकि है
वह फाँसी लगा चुकी है
पिता की तो मानो जीते जी मौत हो जाती है और माँ सदमे में चली जाती है,
दुर्भाग्य तो था यह पर उसे भी बड़ा दुर्भाग्य यह था कि रिश्ते में वह मेरी बुआ कहलाती है
अब मैं मांँ से पूछता हूंँ
बताइए क्या मैं गलत पूछता हूंँ
क्या अच्छाई हर बार बुराई को हरा जाती है?????
© Anjaan