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ख़ुद पर विश्वास करके तो देखो
ख़ुद पर विश्वास क्यों नहीं करते हो तुम ,
क्यों हर पल ही बेचैन से रहते हो तुम।
अपने बातों को क्यों नहीं कह पाते तुम,
क्यों ऐसे ही चुप से होके रह जाते हो तुम।
एक बार ख़ुद पे विश्वास करके तो देखो ,
तब देखो तुम के कितना विश्वास जगेगा।
तुम अपनी बातों को कहना तो सीखो,
तब देखो कितना दिल को सुकून मिलेगा।
दुनिया तुम्हें अपने कदमों पर नजर आएगी ,
एक बार ख़ुद पर विश्वास जगाकर तो देखो।
क्यों हर पल ही बेचैन से रहते हो तुम।
अपने बातों को क्यों नहीं कह पाते तुम,
क्यों ऐसे ही चुप से होके रह जाते हो तुम।
एक बार ख़ुद पे विश्वास करके तो देखो ,
तब देखो तुम के कितना विश्वास जगेगा।
तुम अपनी बातों को कहना तो सीखो,
तब देखो कितना दिल को सुकून मिलेगा।
दुनिया तुम्हें अपने कदमों पर नजर आएगी ,
एक बार ख़ुद पर विश्वास जगाकर तो देखो।
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