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Mandir masjid ki ladai
किसी को मंदिर बनवानी थी,
और किसी को मस्जिद,
क्या यह दोनों नहीं
बन सकती थी साथ में ?
क्या फर्क पड़ता
इंसान तो मंदिर हो या
मस्जिद दोनों के सामने सर झुका
के झूठ बोलता
ये उनको घर देने चले जिन्होंने
खुद इनका निर्माण किये।
राम अल्लाह के नाम पर
ना जाने कितने पाप किए
कितनों की घर-घर की अस्मिता लूटी
लूट का नंगा नाच किए,
कितने ये खून किए
कितनों को अपनों से दूर किए
आंखों में नफरत फैलाकर
यह मंदिर मस्जिद का निर्माण किया!
और किसी को मस्जिद,
क्या यह दोनों नहीं
बन सकती थी साथ में ?
क्या फर्क पड़ता
इंसान तो मंदिर हो या
मस्जिद दोनों के सामने सर झुका
के झूठ बोलता
ये उनको घर देने चले जिन्होंने
खुद इनका निर्माण किये।
राम अल्लाह के नाम पर
ना जाने कितने पाप किए
कितनों की घर-घर की अस्मिता लूटी
लूट का नंगा नाच किए,
कितने ये खून किए
कितनों को अपनों से दूर किए
आंखों में नफरत फैलाकर
यह मंदिर मस्जिद का निर्माण किया!
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