...

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हताश
खुद को पिंजरे से आजाद कर,
उड़ चली मैं लेकर गगन में ये पर
भरी आकाश में एक ऊंची उड़ान,
बढ़ाने अपना स्वाभिमान ।
कि इन दरिंदों ने मुझे जकड़ लिया,
मेरे परों को नोच मुझे पकड़ लिया
मुझ से मेरा ही हक छीन लिया
और मुझे लहू से रंग दिया।
मुझे इतना...