...

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मंज़िल और मुसाफ़िर
मुसाफ़िर हूँ यारो और बस चलते रहना है
मुश्किल से भरें राहों पर निकलते रहना है

कहीं तेज बरसात तो कहीं धूप की छाया है
कभी ठण्ड तो कभी गर्म में उबलते रहना है

हौसला बुलंद और मंज़िल तो अभी दूर है
चाहे कुछ भी हो यहाँ बस फलते रहना है

चाहे आंधी आए या तूफ़ान से टकरा जाए
चट्टान सी मजबूत सब कुछ झेलते रहना है

हार ना मान कभी ये खेल है ज़िन्दगी का
सतरंज की चाल की तरह खेलते रहना है
© Raj
#shreerajmenon