मंज़िल और मुसाफ़िर
मुसाफ़िर हूँ यारो और बस चलते रहना है
मुश्किल से भरें राहों पर निकलते रहना है
कहीं तेज बरसात तो कहीं धूप की छाया है
कभी ठण्ड तो कभी गर्म में उबलते...
मुश्किल से भरें राहों पर निकलते रहना है
कहीं तेज बरसात तो कहीं धूप की छाया है
कभी ठण्ड तो कभी गर्म में उबलते...