...

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जब अंबर से मिला समंदर होगा
क्या खूब वो मंज़र होगा
जब अंजुली में सितारे
और बांहों में समंदर होगा
जब सोने-सी छनती रेत में घुला
मोती-सा चमकता अंबर होगा

जब मिलेंगे पंछियों के नैनों से
मछलियों के चंचल नैन
डूबेगा नहीं सूर्य, काटेगा जल में ही रैन
क्या खूब वो मंज़र होगा
जब लहरों से मिला बदलों का पुरंदर होगा

जब क्षितिज़ पर नहीं,
धरती पर ही मिलन होगा
तारें चमकेंगे जल में,लहरों का ताज स्वयं चंदर होगा
क्या खूब वो मंज़र होगा
जब अंबर से मिला समंदर होगा

© Anirya