...

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मजबूरी
झूठ नहीं बस मज़बूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
जीने के लिए रोटी, कपड़ा जरूरी है;
भूख की आग में सच,
झूठ बस एक मज़बूरी है;
हर इंसान यहां मजबूर है;
पेट की भूख शांत करने को,
हर इंसान खुद से लड़ता है;
झूठ नहीं बस मज़बूरी है ;