shayari इश्क की
उसकी यादो को ख़्वाबों मैं सजाए रखा
भूल कर उसको खुद को किताबों मैं लगाए रखा
सुना था सियासत मैं बहुत झगड़े है
मैंने खुद को इश्क मैं लगाए रखा
भूल कर उसको खुद को किताबों मैं लगाए रखा
सुना था सियासत मैं बहुत झगड़े है
मैंने खुद को इश्क मैं लगाए रखा
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